गुरुवार, 2 जून 2011

बाबा रामदेव का सर्कस ,टिकट बेचेगी सरकार


२४ घंटे के खबरिया चैनल में सिर्फ बाबा रामदेव .अंग्रेजी सहित दूसरी भारतीय भाषा के अख़बारों में सिर्फ बाबा  रामदेव .यानी खबरों का सरोकार इनदिनों बाबा रामदेव से है जो १अरब १२ करोड़ जनता की सरकार को धमका रहे है .केंद्र की हर दिल अजीज और लोकप्रिय यु पी ए  सरकार जिसे दुबारा सत्ता में आने का मौका देश की जनता ने दिया वह एक अदना सा बाबा के सामने गिरगिरा रही है .बाबा रामदेव भ्रष्टाचार और कालाधन के खिलाफ राजधानी दिल्ली में  आमरण अनशन करने वाले है लेकिन नींद सरकार की उडी हुई है .नेहरु जी और इंदिरा जी के बाद मनमोहन सिंह तीसरे कांग्रेसी प्रधानमंत्री है जिन्होंने देश पर ७ साल से अधिक राज किया है लेकिन एक अदना सा बाबा जिसकी बाजीगरी सांस तेज खीचने में है उसने प्रधानमंत्री की साँसे  अटका दी है .प्रधानमंत्री बाबा को मनाने के लिये चिठ्ठी लिख रहे है .आयकर विभाग से लेकर इ डी के आला अधिकारी कालाधन और आयकर चोरी का रहस्य और सरकार की मजबूरी से बाबा को अवगत करा रहे है .लेकिन बाबा तो बाबा है टी वी के जरिये पूरी दुनिया को अबतक योग रहस्य बताते रहे है अब उसी टीवी के जरिये वो  लोगों को कालाधन का रहस्य बताने सामने आये है लेकिन सरकार उन्हें यह मौका  नहीं देना चाहती है सो बाबा की दिल्ली एअरपोर्ट पर आने की खबर सुनते ही सरकार के आलामंत्री और संकटमोचक प्रणव मुखर्जी बाबा को घेरने एअरपोर्ट पहुँच गए .जो सरकार आम लोगो से बात करने के लिए तैयार नहीं है ,जो सरकार महगाई जैसी अहम् समस्या पर जनता की मांग को अबतक दरकिनार करती रही है वही सरकार बाबा से बात करने दौर लगा रही है .ये बाबा का रहस्य है या कलाधन का लेकिन जंतर मंतर का खोफ सरकार पर आज भी सर चढ़ कर बोल रहा है .
भ्रष्टाचार के दल दल में फसे एक तथाकथित इमानदार प्रधानमंत्री की ये हालत किसने की है .माननीय अदालतों ने ,देश के बुद्धिजीवियों ने या फिर एन जी ओ ने ?जाहिर है पहले सोनिया जी का एन जी ओ राष्ट्रीय सलाहकार परिषद् ने सरकार का कद छोटा किया तो दुसरे एन जी ओ वाले ने सरकार और संसद के अस्तित्व पर ही सवालिया निशान लगा दिया .पेट्रोल प्राइस की बात हो या सब्सिडी की या फिर लोकपाल बिल की बात हो या फ़ूड सिक्यूरिटी की या फिर सांप्रदायिक दंगा विरोधी बिल राष्ट्रीय सलाहकार परिषद् के विद्वान सदस्य अपना वीटो पेश करके मंत्रीपरिषद् के निर्णयों को प्रभावित करते है .जाहिर है यह सोनिया जी का एन जी ओ है सो सरकार इसे लगभग सरकारी मसौदा मान लेती है .लेकिन अन्ना हजारे और अरविद केजरीवाल का एन जी ओ जब लोकपाल बिल पर अपना सुझाव सामने लाता है तो इसे पहले दरकिनार करने की कोशिश की जाती है .लेकिन पहलीबार देश के विभिन्न एन जी ओ ने दिखाया है कि वह सरकारी एन जी ओ पर भरी है क्योंकि सरकार से लोगों का भरोसा उठ चूका है ..राजधानी दिल्ली स्थित जंतर मंतर महज दो दिनों के अंदर तहरीर चौक का रूप ले लेगा, ऐसा अंदाजा न तो सरकार को था न ही आन्दोलनकारी को ऐसा यकीन था .  अन्ना हजारे का आमरण अनसन महज ५२  घंटे में राष्ट्रव्यापी आन्दोलन बन गया .हर शहर के चौक चौराहे पर भ्रष्टाचार के खिलाफ लोगों की उमड़ी भीड़ सरकार को यह बता रही थी ,कि सब्र का पैमाना अब टूट चूका है .
गांधी के इस देश में आम लोगों का सरोकार सरकार से कितना है इसे इस सन्दर्भ में समझा जा सकता है .केंद्रीय बजट के रूप में सरकार हर साल ११-१२ लाख करोड़ रूपये का लेखा -जोखा प्रस्तुत करती है .मुल्क की प्रान्तों की सरकार भी हर साल २३-२५ लाख करोड़ रूपये खर्च करती है .यानी जिस देश में सरकारें ३५-३७ लाख करोड़ रुपया खर्च करती हो और वहां की ७० फीषद आवादी की आमदनी २० रुपया हो तो यह माना जा सकता है कि मुल्क के राजनेताओ और नौकरशाहो ने दलालों के जरिये आम लोगों के हिस्से को लूट लिया है .बाबा रामदेव आज यही बात लोगों को समझाने में कामयाब हुए है कि लूट के पैसे सरकार वापस लाती है तो यह मुल्क इंग्लॅण्ड और अमेरिका को भी पीछे छोड़ सकता है .बाबा रामदेव न तो कोई अर्थशास्त्री है न ही कभी जाँच एजेंसी से उनका सरोकार रहा है लेकिन वो दावा करते है कि सरकार उनकी बात माने तो वेदेशो में रखे ५०० खरब रुपया भारत वापस लाया जा सकता है .सरकार की मजबूरी यह है कि वह रोज सुप्रीम कोर्ट में कालाधन के मामले में फटकार सुन रही है लेकिन सूचि को सार्वजानिक करने को तैयार नहीं है .बाबा रामदेव सरकार की कमजोरी जान चुके है .लेकिन बाबा को पता है दवाब में आकर सरकार ने पहले अन्ना हजारे को संसद से भी महान बना दिया लेकिन आज सरकार के मंत्री उन्हें धमका रहे है .बाबा रामदेव यह भी जानते है कि कल तक सरकार दिग्विजय सिंह को अनाप सनाप बयान देने के लिए खुल्ला छोड़ दिया था .दिग्विजय सिंह हर मंच से बाबा को ललकार रहे थे लेकिन आज देश के प्रधानमंत्री उन्हें खुद पुचकार रहे है .बाबा सियासत और कांग्रेस की चाल से पूरी तरह वाकिफ है .
लेकिन सवाल यह है देश के संसद से महज ५०० मीटर की दुरी पर स्थित जंतर मंतर पर कुछ एन जी ओ के  अनसन से सरकार इतना क्यों विचलित हो उठती है कि कानून बनाने का जिम्मा सांसदों से छीन कर एन जी ओ वाले को दे दिया जाता है .कलाधन के मामले में सरकार संसद में चर्चा से बचती है लेकिन बाबा रामदेव से इसी मुद्दे पर चर्चा के लिए ऐयेरपोर्ट पर दौर लगाती है .सरकार इखलाख से चलती है, सरकार भरोसे से चलती है, सरकार लोगों से संवाद बना कर चलती है .अगर यह सरकार में नहीं है तो माना जायेगा कि यह सरकार किसी के लिए चलायी जा रही है जिसका देश से कोई संवाद नहीं कोई सरोकार नहीं  है .बाबा रामदेव के भारत स्वाभिमान परिषद् और सोनिया जी के राष्ट्रीय सलाहकार परिषद् के बीच फसी यह सरकार को तय करना होगा कि वह किसके साथ है .